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लेखनी प्रतियोगिता -03-Jun-2022बडी़ बहिन का फर्ज

       "  रीना तुम दूसरौ के लिए कब तक मरती रहोगी? " धीरज ने अपना धीरज छोड़ते हुए पूछा।


      " धीरज मै इन सब बच्चौ की बडी़ बहिन हूँ  आजतक वही फर्ज पूरा करती आ रही हूँ। तुम्है तो पता है कि हमारे साथ जो हुआ था भगवान ऐसा किसी के साथ न करे। अब कुछ समय की बात है सभी सैट हो जायेगे। "  ,रीना ने धीरज को समझाया। 

   " तुम्हारी यह बातें मेरी समझ से तो बाहर है । और जो कुछ होरहा है और आगे हौने वाला है  वह कैसा होगा वह ऊपरवाला ही जाने। लेकिन मेरी समझ मे इतना तो आगया है कि तुम कितना भी कर लेना बक्त आने पर कोई साथ नही देगा।",  धीरज बोला।

       "धीरज मुझे तुम यह बताओ कि मा बाप अपनी औलाद के लिए अपना सुख भूल जाते है वही औलाद बुढा़पे मे मा बाप को पूछती है तुमने हमारे लिए क्या किया और उनको घर से  बृद्धाश्रम  में छोड़ देती है। मै भी इनकी बहिन हौने से पहले माँ बाप हूँ।" रीना ने जबाब दिया।

         "नाजाने कौन सी मिट्टी की बनी हो हर बात का जबाब तैयार है" ,इतना कहकर धीरज वहाँ से बड़बडा़ता हुआ जाने ल गा।

         " धीरज मैने तुम्है कितनी बार समझाया था कि तुम मेरे साथ अपनी जिन्दिगी क्यौ खराब कर रहे हो तुम कोई लड़की देखकर अपना घर बसालो। यदि तुम कहोतो मै लड़की देख देती हूँ। ", रीना बोली।

    धीरज अपने मन में सोचने लगा कि यदि मुझे घर बसाना होता तो नीलेश ने कितनी बार  मुझे आँफर किया था। अन्त में उसने अपनी शादी किसी और से की थी।

    धीरज वहाँ से सोचता हुआ चला गया। और रीना पुराने खयालौ में खोगयी।

       वह उस मनहूस दिन को याद करके पछताने लगी। जब वह बीस साल की थी उसका छोटा भाई अठारह का उससे छोटी बहिन सोलह की थी और सबसे छोटा भाई चौदह साल का था।

      सभी भाई बहिन स्कूल में थे उसदिन उसके  पापा की तबियत खराब थी जिससे वह आफिस नहीं गये थे।  उसकी माँ चाय बनारही थी और सिलन्डर में आग लग गयी उनको बचाने के लिए पापा गये और वह दौनौ ही बुरी तरह जल गये । उन दौनौ में कुछ सासे ही बची थी।

     जब रीना अपने भाई बहिनौ के साथ घर  पहुँची तब अपने घर के बाहर भीड़ देखकर घबडा़ गयी जब उसे हादसे का पता चला वह भी अपने भाई बहिनौ के साथ भागती हुई अस्पताल पहुँची।

        उसके पापा उनको देखकर रो रहे थे आवाज नही आररही थी । पापा ने सभी भाई वह बहिनौ का हाथ रीना के हाथ में दे दिया। और वह दौनौ ही  अन्तिम साँस ली।

     रीना तो खुलकर रो भी न सकी। वह अपने से छोटौ को चुप करने में लगी थी। सबको छाती से लगाकर बोली " कोई नही रोयेगा मै जिन्दा  हूँ। 

        अभी मम्मी पापा को बिदा किया और रीना ने बेटे की तरह मुखाग्नि दी और कसम ली कि आज से वह इनकी मम्मी व पापा बनकर रहेगी।

          उस दिन से रीना ने सभी भाई व बहिनौ को पढा़या  ।बहिन ़ व  एक भाई की शादी भी करदी। भाई की पत्नी तो चार महीने बाद ही अपने पति के साथ अलग रहने लगी थी। अब छोटा भी किसी कम्पनी में जाँब पर था।

      रीना ने उसके लिए भी लड़की देखली और उसकी शादी करदी। परन्तु शादी के बाद छोटे भाई की पत्नी  के तेबर बदलने लगे। उसकी पत्नी भी एक दिन अपने पति से बोली," सुनते हो अब हमें भी अपना अलग किराये का मकान ले लेना चा हिए जब भाई साहब ने अपना फ्लैट भी लेरखा है तो   हम रीना दी के साथ क्यौ रहे।"

      " नही सपना हम दीदी को कैसे छोड़दै उन्हौने हम सब के लिए  क्या नही किया उन्हौने  आजतक  शादी नही की। और हम उनको ऐसे समय में छोड़ जाय लोग क्या कहैगे।", सबसे छोटा भाई राघव बोला।

       "  तुम सब पागल हो रीना दीदी धीरज के साथ एक एक घन्टा बाते करती रहती है धीरज ने भी आज तक शादी नही की इसका मतलब दौनौ मालूम नहीं क्या क्या करते है यह सब दिखाबा है  दीदीका। " सपना बोली।

     "सपना अपनी जवान पर लगाम दो यह तुम क्या बक रही हो मै कुछ नही कहरहा इसका मतलब तुम दीदी की बेइज्जती करती रहोगी। " इतना कहकर वह सपना पर हाथ उठाने वाला था। यह सब रीना खडी़ चुपचाप सुन रही थी।

      उसका हाथ रीना ने पकड़ लिया और बोली," राघव यह इसकी गल्ती नहीं है यह सब मेरे कर्मौ का फल है कि मम्मी पापा मरते बक्त तुम सब मुझे सौप गये और मैने अपना सुख त्यागकर तुम सबको खडा़ किया। मै भी शादी करके अपना घर बसाके अलग होजाती। परन्तु मैने अपने फर्ज को पूरा किया। धीरज सही कहरहा था तुम बाद में पछताओगी। आज उसकी एक एक बात सही होती लग रही है। कोई बात नही सपना मैने तुम्है कैद नही कर रखा तुम आजाद हो कैसे भी उडो़। राकेश चला गया मैने नही रोका। मै तुम्है भी नही रोकूगी।"

            " नही दीदी मुझे माँफ करदो  हम आपको छोड़कर कैसे जासकते है । अब हमारा भी कुछ फर्ज है उसे पूरा करैगे।  जब बडी बहिन इतना कर सकती है तो छोटे भाई का भी कुछ फर्ज बनता है। " राघव रोता हुआ रीना से लिपट गया।

        सपना नेभी पैर पकड़ कर माँफी माँगी। और राघव ने धीरज के मम्मी पापा से बात करके  रीना और धीरज को एक सूत्र में बाँधकर बिदा किया। उसदिन राघव बहुत रोया और बोला," आज बडी़ बहिन नही   हमारी मा व बाप दौनौ हमें छोड़कर जारहे है।

       इसतरह रीना ने भी आज सबको गले लगाकर आशीर्वाद दिया।

   दैनिक प्रतियोगिता के लिए रचना।

नरेश शर्मा ," पचौरी "

03/06/2022

   

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9 Comments

Kusam Sharma

04-Jun-2022 09:32 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

04-Jun-2022 06:09 PM

बेहतरीन

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Punam verma

04-Jun-2022 09:26 AM

Nice

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